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Monday, September 5, 2016

फेसबुक की आभासी दुनियां में बीते सपने फिर सत्य की तरह सामने आ रहे हैं (FaceBook and Past DReam of Life)

अगर हम अपने प्राचीन दर्शन का अध्ययन करें तो यह निष्कर्ष भी आता है कि इस प्रथ्वी पर जीवन ब्रह्मा जी की निद्रा की अवस्था देखे जा रहे सपने में रहता है। जब वह जाग्रत होते हैं तो सब शून्य हो जाता है। हम जब रात को सोते हैं तो इसी तरह अनेक प्राणी सपने में आते हैं। कभी दुःख तो कभी सुख आता है। जब हम जागते हैं तो एकदम अचंभा होता है कि जो निद्रा के दौरान स्वप्न था वह सब गायब हो गया। लगता है कि हम जागे हैं और सत्य सामने हैं। सत्य का यह भ्रम भी हो सकता है क्योंकि जो सामने है वह भी तो कभी लुप्त होना ही है। संभव है कि हम सपने में जो व्यक्ति देखें हों वह उतने पल तक सांसे लेकर अपने सत्य होने की अनुभूति करते हों जैसे हम ब्रह्मा जी के सपने में जी रहे हैं। हमारी जाग्रत अवस्था भी ब्रह्मा का सपना हो सकती है। पता नहीं हम हैं भी या नहीं।
मगर जब तक सांसें ले रहे हैं तब यह अहसास रखना ही चाहिये कि हम इस धरती पर मौजूद हैं। फकीर हो या सन्यासी वह इस जीवन को भ्रम मानते हैं पर सांसें लेते समय उन्हें भी अपने अस्तित्व की निरंतरंता की अनुभूति जरूर होती है। पिछले सात दिनों से फेसबुक पर कुछ ऐसी ही अनुभूति भी हो रही है जो सपने तथा सत्य के बीच अंतर्द्वंद्व से भरी है। ज्ञान साधना करते हुए हमने यह देखा कि हर दिन कल देखा गया सपना हो जाता है। अनेक लोग ऐसे हैं जो हमसे कार्यालय, घर तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मिले फिर अदृश्य हो गये। उनकी यादें ऐसे ही रहीं जैसे कि जागने पर सपने की होती थी-अब हमें रात के सपने याद नहीं रहते जो कि अच्छी निद्रा का प्रमाण होता है। हमारे दो फेसबुक हैं। एक पर हम करीब आठ वर्ष से सक्रिय हैं। इसका संबंध ब्लॉग के समय से हुआ था इसलिये सार्वजनिक मित्रों से संपर्क हुआ। एक निजी था जिसमें हमारे दो चार रिश्तेदार ही हुआ करते थे। कभी सोचा नहीं था कि फेसबुक समय के साथ इतना विराट रूप धारण करेगा। समय के साथ निजी फेसबुक पर कुछ मित्र आये। पिछले तीन महीने में कार्यालय के एक दा ेमित्रों ने इसका अनुसरण किया तो उससे बाकी लोगों की नज़र में आये। फिर हमने देखा कि फेसबुक हमारे उन्हें मित्रों को सामने रख रहा है जिन्होंने हमें छोड़ा या हम उन्हें छोड़ आये। हमने सोचा चलो अब उन्हें मित्र बनाते हैं। अचानक मित्रों की संख्या बढ़ गयी। यादों में बीते सपने की तरह मौजूद व्यक्तित्व फिर इस आभासी दुनियां में -इंटरनेट के पुराने लेखक इंटरनेट को इसी नाम से जानते हैं-जागते हुए लौट आये हैं। यह आभास दिलचस्प है। सपनों के बारे में एक पश्चिमी वैज्ञानिक कहते हैं कि रात को देखे सपने अगर सुबह उठने पर याद आयें तो इसका अर्थ यह है कि आप ढंग से सोये नहीं। सपनो के बारे में हमारे यहां कुछ लोग कहते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में देखे गये सपने सत्य होते हैं। हमारा मानना है कि सांसों का चलना सत्य है इसलिये जब तक ले रहे हैं शान से जीना चाहिये।
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